
हुगली: नरक चतुर्दशी पर राज्य के चंदनपुर में हैरान करने वाली घटना सामने आई। यहां गली में घूमने वाले अधिकतर कुत्ते साफ सुथरा नजर आए। उनके गले में फूलों की माला थी, माथे पर तिलक लगा था। बाद में पता चला कि एक दंपत्ति ने इन कुत्तों की पूजा की है। बता दें कि इस तरह से कुत्तों की पूजा अब तक उत्तराखंड और नेपाल आदि में होता रहा है। इसे कुत्ता तिहार कहा जाता है, लेकिन पहली बार कुत्ता तिहार पश्चिम बंगाल में देखने को मिला है।
कुत्तों के गले में डाल दीं
मालाएं एक रिपोर्ट के मुताबिक चंदननगर में रहने वाले दंपत्ति संचिता पाल और पिकासो पाल को कुत्तों से बहुत प्यार है। उन्हें इलाके में लोग पशु प्रेमी के रूप में जानते हैं। शनिवार (11 नवंबर) की सुबह इस दंपत्ति ने कई स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ कर उनके गले में मालाएं डाल दीं। उनकी पूजा करते हुए उन्हें तिलक लगाया। इस दौरान इस दंपत्ति ने कुत्तों के खाने पीने के लिए खास भोजन जैसे चावल और मांस आदि की व्यवस्था की थी।
महिला के मुताबिक इस तरह से कुत्ता पूजन की परंपरा उत्तर भारत में पहले से है, लेकिन बंगाल में ऐसा नहीं होता। उन्होंने बताया कि काली पूजा के दौरान अक्सर लोग कुत्तों को प्रताड़ित करते हैं। कोई उनकी पूछ में काली पटका बांध देता है तो कोई बम पटाखे लगा देता है। इस तरह की घटनाओं में कई बार कुत्ते मर जाते हैं या बुरी तरह से जख्मी हो जाते हैं। ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए उन्होंने ऐसा किया है। उन्होंने बताया कि नेपाल में कुत्ता तिहार उत्सव काफी प्रसिद्ध है। लेकिन यही त्यौहार अब उन्होंने बंगाल में भी शुरू किया है। संचिता के मुताबिक कुत्ते को मृत्यु के देवता भगवान यमराज का प्रिय पशु माना गया है। ऐसे में लोग यमराज को प्रसन्न करने के लिए नेपाल और उत्तराखंड के अलावा सिक्किम, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश और नागालैंड आदि क्षेत्रों में कुत्ता तिहार मनाते हैं।