कोलकाताः इस वक्त की बड़ी खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को झटका लगा है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन वर्मा ने टीएमसी को अलविदा कह दिया है। पिछले साल ही उन्होंने पार्टी जॉइन की थी और इसके बाद उनको राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था। अपने ट्वीट में पवन वर्मा ने लिखा, ममता बनर्जी जी, टीएमसी से मेरा इस्तीफा स्वीकार कीजिए। मैं आपके समर्थन और विश्वास के लिए आपका स्वागत करता हूं। मैं आगे भी आपके साथ संपर्क में रहूंगा। शुभकामनाएं। 5 नवंबर 1953 को पैदा हुए पवन वर्मा लेखक, राजनेता होने के अलावा आईएफएस अधिकारी भी रह चुके हैं। उन्होंने बतौर राजदूत भूटान और साइप्रस में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
नागपुर में पैदा हुए पवन वर्मा ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से हिस्ट्री में डिग्री हासिल की थी। इसके बाद दिल्ली के फैकल्टी ऑफ लॉ से कानून की पढ़ाई की। 1976 में वह भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए। अपने करियर के दौरान वह भारत के राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, अफ्रीका में जॉइंट सेक्रेटरी, साइप्रस में भारत के हाई कमिश्नर, नेहरू सेंटर के डायरेक्टर, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के महानिदेशक और भूटान में भारत के राजदूत रह चुके हैं।
2012 में नीतीश से हुई मुलाकात
साल 2012 में उनकी मुलाकात दिल्ली में नीतीश कुमार से हुई थी और कम ही वक्त में दोनों की दोस्ती हो गई। इसके बाद नीतीश ने पवन वर्मा की पॉलिटिक्स में एंट्री करा दी। नीतीश ने 2014 में उनको राज्यसभा भेजा। कुछ ही वक्त में उनका पार्टी में कद बड़ा होने लगा। कहा ये भी जाता है कि वर्मा की सलाह पर ही जदयू में प्रशांत किशोर को शामिल किया गया था। वह जदयू की तरफ से टीवी चैनलों पर भी नजर आते थे। इसके बाद पवन वर्मा ने नीतीश को सीएए और एनआरसी पर पार्टी की विचारधारा बताने को कह दिया। बाद में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा-जदयू गठबंधन पर भी सवाल खड़े कर दिए। इसके बाद नीतीश ने वर्मा को जदयू से निकाल बाहर किया। इसके बाद 23 नवंबर 2021 को उन्होंने टीएमसी जॉइन की और 19 दिसंबर 2021 को उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया।
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