
जिन घरों में चल रही थीं उत्सव की तैयारियां, वहां छाया है मातम
दो सहेलियों के इस तरह से साथ विदा होते देख बिलख उठे लोग
दमदम : 13 साल की अनुष्का के परिवारवाले जहां उसकी जन्मदिन की तैयारियों में जुटे थे, वहीं उन्हें इसकी जरा भी भनक नहीं थी कि वे इसके पहले ही अपनी बेटी को खो देंगे। वे जन्मदिन के लिए बेटी को लेकर गुरुवार यानी इस दिन ही खरीदारी के लिए जाने वाले थे मगर उनके सारे सपने ही चूर हो गये। हमेशा चहकती रहने वाली बेटी का शव इस दिन घर आते ही वे टूट गये और आंसुओं का सैलाब उनकी आंखों से रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। आस-पास के लोग भी यह मंजर देखकर आंसुओं को रोक नहीं पाये। कहां बेटी के जन्मदिन के आयोजन को लेकर इस घर में बातें हो रही थीं, वहीं अब यहां उसके अंतिम संस्कार और श्राद्ध को लेकर बातें हो रही हैं। यही हाल श्रेया बनिक के अभिभावक का भी है। घर में जलजमाव के बीच अभी भी पलंग पर उसकी किताबें बिखरी हैं तो हैंगर पर स्कूल ड्रेस टंगा और बार-बार जिस चीज को देखकर मां की आंखें भर जा रही हैं, वह है श्रेया के लिए खरीदी गयी नयी ड्रेस। दुर्गापूजा में अष्टमी के दिन पहनने के लिए श्रेया ने अपनी पसंद से वह ड्रेस ली थी जो कि उसने शोकेस के ऊपर एक ओर रखवाया था। बार-बार उसे पहनने की ही चर्चा वह घर के लोगों से कर रही थी मगर अब सब कुछ खामोश हो गया है। श्रेया की मौत ने ना केवल इस घर से रौनक छीन ली है वहीं इलाके के लोग भी उसकी मौत से सदमे में हैं। वे यकीन नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर कैसे नियति ने उस बच्ची के साथ ऐसा किया। लोगों की बस यही मांग है कि प्रशासन ऐसी लापरवाही ना करे कि उससे लोगों के घर ही उजड़ जाएं।
आंखों में आंसुओं के साथ किया गया अंतिम संस्कार
पोस्टमार्टम के बाद जब दोनों का शव दमदम के बांधव नगर में पहुंचा तो पूरा इलाका ही मातम में डूब गया। इलाके के लोगों ने नम आंखों से उन दोनों सहेलियों को विदा किया।
परिवार से मिलने पहुंचे सांसद, हुआ विरोध
श्रेया और अनुष्का की मौत के बाद अब प्रशासन की लापरवाही के प्रति लोगों का गुस्सा उभरकर सामने आ रहा है। इलाके के लोगों का रोष इतना अधिक है कि उन्होंने गुरुवार को मृतकों के घर जाने के दौरान स्थानीय सांसद सौगत राय व मंत्री ब्रात्य बसु समेत स्थानीय पालिका प्रशासक का घेराव किया। सांसद सौगत राय के 2 लाख रुपये की मदद को भी परिवार ने स्वीकार करने से मना कर दिया। पीड़ित परिवार ने मांग की कि इसके पीछे के दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। परिवार वालों ने आरोप लगाया कि तेज बारिश में अगर लाइट पोस्ट से विद्युत काट दिया गया होता तो इस तरह की घटना नहीं घटती इसलिए उन पर कार्यवाही की जाए।
सांसद के बयानों से शुरू हो गयी अलग ही खींचातानी
आरोप है कि सांसद सौगत राय ने इस दिन जहां घटना को बेहद वेदनादायक बताया वहीं उन्होंने कई सवाल भी खड़े कर दिये। उन्होंने सवाल किया कि इतनी बारिश में वे बच्चियां क्यों घर से निकलीं ? बारिश और जलजमाव में उन्हें बाहर निकलना ही नहीं चाहिए था। इस पर वे बाहर निकलीं, उन्हें कोई अनुमान नहीं था कि वे लैंप पोस्ट का सहारा लेंगी और उनकी मौत हो जायेगी। पालिका की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जिन-जिन इलाकों में पानी भरा है वहां बिजली काट देना चाहिए था मगर ऐसा क्यों नहीं किया गया ? हर जगह ही जलजमाव हो रखा है, किस तरह से वे बच्चियां करंट की चपेट में आ गयीं इसकी जांच की जायेगी। इधर, स्थानीय तृणमूल वार्ड कोऑर्डिनेटर के प्रति भी लोगों का गुस्सा फट पड़ा और लोगों ने सांसद के सामने ही दक्षिण दमदम पालिका के 9 नंबर वार्ड के तृणमूल वार्ड कोऑर्डिनेटर सुरजीत रायचौधरी को इलाके में प्रवेश करने से मना कर दिया। इस क्षोभ को लेकर वार्ड कोऑर्डिनेटर ने कहा कि दमदम में निकासी बागजोला खाल से होती है और बागजोला खाल की सफाई के अभाव के कारण ही आज यहां परिस्थितियां ऐसी हो गयीं। वहीं घटना को लेकर सफाई देते हुए तृणमूल वार्ड कोऑर्डिनेटर ने यह भी कह डाला कि इस हादसे के लिए मैं कहां से जिम्मेदार हूं।