कोलकाता में फैल रहा एडिनोवायरस, बच्चे पड़ रहे बीमार, स्वास्थ्य भवन में हुई बैठक

‘मामले कुछ बढ़े हैं, लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है। इस मौसम में यूं भी इस तरह के मामले कुछ बढ़ते हैं। हमने इसे लेकर बैठक की है और सभी सीएमओएच को निर्देश दिया है कि चूंकि इस तरह के मामले अधिक आ रहे हैं, ऐसे में इन्हें गंभीरता से हैंडल करें।’-स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव एन. एस. निगम
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : बच्चों में अचानक बुखार, सर्दी, खांसी व सांस लेने में तकलीफ के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मौसम में हो रहे बदलाव के कारण इस तरह की बीमारी बढ़ती है और इस बार भी बच्चे संक्रमण के कारण बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। लगभग हर घर में वायरल फीवर फैल रहा है। एक बार इससे बीमार पड़ने पर 7 से 10 दिनों के पहले कमजोरी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि शहर के शिशु अस्पतालों में इस संक्रमण के कारण भीड़ बढ़ रही है और काफी बच्चे आईसीयू में भर्ती हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, कोलकाता मेडिकल कॉलेज में गत डेढ़ महीने में इस संक्रमण के कारण 3 लोगों की मौत हुई है। साल की शुरुआत से ही यह संक्रमण तेजी से फैला है और इससे बच्चे व बूढ़े अधिक प्रभावित हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड काल के बाद 12 तरह के जीवाणु फैले हैं, ऐसे में संक्रमण रोकने के लिए एंटीबायो​टिक दिया जाता है, लेकिन हर समय इससे भी संक्रमण नहीं रुक पाता। इस पर स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. सिद्धार्थ नियोगी ने कहा, ‘स्वास्थ्य भवन में वीडियो कांफ्रेंसिंग कर सभी अस्पतालों को अलर्ट रहने को कहा गया है।’ इस तरह के लक्षण मिल रहे
बताया गया कि स्वाइन फ्लू अथवा दूसरे वायरल फीवर की तरह यह भी एक वायरस संक्रमण है, लेकिन इसकी कोई वैक्सीन या निर्दिष्ट दवा अभी नहीं है। पहले सांस लेने में तकलीफ अथवा बुखार के साथ पेट की समस्या संक्रमण के कारण होती थी जिसे संभाला जा सकता था। हालांकि अब यह कई तरह का रूप ले रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो एंटीबायोटिक के गलत इस्तेमाल के कारण भी वायरस का कैरेक्टर व लक्षण काफी बदल गया है। वायुजनित एडिनोवायरस मुख्य तौर पर आंख, मूत्र नली व स्नायुतंत्र को नुकसान पहुंचाता है। इस तरह के वायरस के कारण बुखार कम अथवा बढ़ता रहता है। इसके साथ कंजक्टिवाइटिस भी हो सकता है और ब्रोंकाइटिस व निमोनिया के लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं। काफी लोगों को डायरिया, उल्टी व सांस लेने में तकलीफ काफी बढ़ जाती है।
क्यों बढ़ रहे हैं मामले
शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के कारण लंबे समय से बच्चे बाहर नहीं निकले जिस कारण आम माहौल में उनका घुलना-मिलना कम हो गया था। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी उनकी काफी कम हो गयी है जिस कारण एडिनोवायरस संक्रमण बढ़ा है। इन्हें है अधिक जोखिम एक्सट्रीम एज ग्रुप के बच्चे (1 महीने-3 वर्ष) एवं व्यस्कों को अधिक रिस्क है क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। स्कूल, खेल का मैदान, स्वीमिंग पूल में बच्चों को खांसी से भी यह वायरस फैल रहा है। कोलकाता के सभी सरकारी अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था रहने पर भी प्राथमिक स्तर पर डायगनोसिस की व्यवस्था अस्पतालों में नहीं है। इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, पीयरलेस, अपोलो, ईएमआरआई, स्कूल ऑफ ट्रोपिकल मेडिसिन जैसे शहर के कुछ अस्पतालों में ही पीसीआर की व्यवस्था है जिससे इसे चिह्नित किया जा सकता है।
डॉक्टरों ने दिये यह सुझाव
इधर, आमरी अस्पताल की ओर से बताया गया कि फिलहाल अस्पताल के सभी 3 यूनिट्स ढाकुरिया, मुकुंदपुर व साल्टलेक में सांस संबंधी समस्याओं को लेकर कुल 115 मरीज भर्ती हैं जिनमें से 22 आईसीयू और 5 पेडियाट्रिक में हैं। बच्चों में एडिनोवायरस का संक्रमण काफी तेजी से देखा जा रहा है। वहीं काफी व्यस्क एडिनोवायरस के अलावा नॉन कोविड-19 कोरोनावायरस, इन्फ्लूएंजा, पैरा इंफ्लूएंजा, राइनोवायरस, न्यूमोकोक्कस और रेसपिरेटरी सिंकशिअल वायरस से संक्रमित हैं। डॉक्टरों का सुझाव है​ कि अधिक से अधिक मास्क पहनें और बुखार व अन्य लक्षण वाले पब्लिक से दूर रहें और खुद को अलग कर लें। इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ में भी लगभग 100 मरीज भर्ती हुए थे जिनमें से अब भी कई इलाजरत हैं।

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