
मुख्य बातें
सबसे अधिक खतरा नवजात से 1 साल के बच्चों में
रेस्पिरेटरी सिस्टम तथा अन्य कई समस्याएं हैं इसके लक्षण
सरकारी अस्पतालों में बढ़ाए गये बेड, नर्सों व पैरामेडिकल स्टॉफ की संख्या
टेस्ट कराने में लग रहे हैं 15 से 25 हजार रुपये
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : वायरल संक्रमण से पीड़ित बच्चों में से 70 से 80 फीसदी बच्चों में एडिनोवायरस मिल रहा है। यह कहना है इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, कोलकाता के डिपार्टमेंट ऑफ पेडियाट्रिक मेडिसिन के एसोसियेट प्रोफेसर व चाइल्ड स्पेशिलिस्ट अरुणालोक भट्टाचार्य का। उन्होंने कहा कि कोलकाता में हालत बेहद खतरनाक है। नवजात से लेकर 1 साल तक के बच्चों में इसका खतरा सबसे अधिक है। वहीं एकत्र किए गए नमूनों में से एक तिहाई से अधिक बच्चों में एडिनोवायरस मिल रहे हैं। 2 से 5 साल के बच्चों में भी यह पाया जा रहा है लेकिन इलाज से वे ठीक हो रहे हैं जबकि नवजात से 1 साल तक के बच्चों में इसका खतरा सबसे अधिक है। वहीं अस्पतालों के चाइल्ड वार्ड में बेड भी बढ़ाए गये हैं। इसके अलावा नर्सों व पैरामेडिकल स्टॉफ की भी संख्या बढ़ायी गयी है।
डॉक्टरों की सलाह
यह वायरस त्वचा के संपर्क से, हवा में खांसने और छींकने से फैल सकता है। अब तक, वायरस के इलाज के लिए कोई अप्रूव्ड ड्रग या कोई विशिष्ट उपचार पद्धति नहीं है। बंगाल के स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों, विशेष रूप से बाल रोग विशेषज्ञों के लिए एक सलाह जारी की है कि वे फ्लू जैसे लक्षणों के साथ भर्ती होने वाले बच्चों, विशेष रूप से दो साल या उससे कम उम्र के बच्चों का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि वे एडिनोवायरस से प्रभावित होने के लिए सबसे कमजोर हैं।
कोलकाता के टेस्टिंग लैब का यह है हाल
पूरे कोलकाता के टेस्टिंग लैब का हाल – बेहाल है। अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों की बात अगर छोड़ दी जाए तो प्राइवेट क्लिनिक में भी बच्चों को लेकर आने वाले परिजनों की लंबी कतारें लग रही हैं। अधिकतर डॉक्टर क्लिनिकल एक्सपिरिएंस से पहले वायरल फीवर का इलाज कर रहे हैं, फिर भी जब यह ठीक नहीं हो रहा है तब इसकी टेस्टिंग की जा रही है। वायरस को अलग करने के लिए वायरल पैनल परीक्षण किए जा रहे हैं। प्रत्येक तीन नमूनों में एक और दो के बीच बीमारी का कारण एडिनोवायरस पाया जा रहा है। शहर के सभी अस्पतालों के पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) में बड़ी संख्या में बच्चे वायरस से जूझ रहे हैं।
मार्च तक कम होने के आसार लेकिन सतर्क रहना होगा अभिभावकों को

हालांकि, डॉक्टरों ने एडिनोवायरस के फरवरी के अंत व मार्च की शुरुआत तक कम होने की बात कही है लेकिन अभी के हालात काफी चिंताजनक हैं। चाइल्ड स्पेशलिस्ट की माने तो जो नमूने भेज रहे हैं उनमें से 70% ज्यादातर एडिनो हैं, जबकि बाकी ह्यूमन मेटावायरस और पैरेन्फ्लुएंजा जैसे वायरस के निकल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, एडिनो जैसे वायरस को अलग करने वाले रेस्पिरेटरी पैनल वायरल टेस्ट की कीमत करीब 15000 से 25,000 रुपये है। उपचार के लिए उपलब्ध एंटीवायरल समान रूप से महंगा है। इसका इंजेक्शन भी काफी मंहगा है। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग भी पूरी कोशिश कर रहा है कि किसी को कोई परेशानी न हो, लेकिन फिलहाल कई स्थानों पर इंजेक्शन मिल भी नहीं रही है।