10 साल पुराने मामले में अब हुई है 6 करोड़ की अटैचमेंट
1.26 करोड़ लीगल फी लिया था नलिनी चिदंबरम ने
पूर्व आईपीएस तथा पूर्व विधायक समेत कइयों के हैं नाम
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : ईडी की टीम ने फिर से सारधा मामले में कार्रवाई तेज कर दी है। पिछले कई सालों से यह मामला चल रहा है। इस मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम व पूर्व माकपा विधायक देबेन विश्वास जैसे नेताओं को लाभार्थी बताया गया है तथा उनकी संपत्ति अटैच की गयी है। ईडी ने शुक्रवार को कहा कि उसने कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम, सीपीएम के पूर्व विधायक देबेन विश्वास और असम के पूर्व मंत्री दिवंगत अंजन दत्ता की कंपनी को लाभार्थियों की श्रेणी में रखा है और इनकी 6 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अटैच की है। पीएमएलए के तहत 3.3 करोड़ रुपये की चल संपत्ति और 3 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति को अटैच करने का अस्थायी आदेश जारी किया गया है।
इन्हें रखा गया है लाभार्थियों की श्रेणी में
इन संपत्तियों का स्वामित्व सारधा समूह और अन्य लोगों के पास था, जो समूह द्वारा उत्पन्न “अपराध की आय” के लाभार्थी थे। ईडी ने कहा कि “लाभार्थियों” में नलिनी चिदंबरम, ईस्ट बंगाल क्लब के एक अधिकारी देवब्रत सरकार, एक पूर्व आईपीएस अधिकारी और पूर्व सीपीएम विधायक देबेन विश्वास और अंजन दत्ता के “स्वामित्व” वाली अनुभूति प्रिंटर एंड पब्लिकेशन शामिल हैं। ईडी ने पहले कहा था कि इस मामले में नलिनी चिदंबरम की भूमिका सारधा समूह द्वारा 1.26 करोड़ रुपये के कानूनी शुल्क के भुगतान से कथित रूप से जुड़ी हुई थी, जो कि एक टेलीविजन चैनल खरीद सौदे पर अदालत और कंपनी लॉ बोर्ड में पेशी के लिए थी। दत्ता को असम के दिवंगत मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का करीबी विश्वासपात्र माना जाता था और वह परिवहन सहित कई विभागों को संभालते हुए उनके मंत्रिमंडल में मंत्री थे। उन्हें दिसंबर 2014 में असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और उन्होंने 2016 में अपनी मृत्यु तक पद संभाला था।
वर्ष 2013 का है यह मामला
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला 2013 तक पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा में सारधा समूह द्वारा कथित चिटफंड घोटाले से संबंधित है। समूह पर अपनी अवैध योजनाओं में निवेश पर असामान्य रूप से उच्च रिटर्न का वादा करके हजारों जमाकर्ताओं को धोखा देने का आरोप है। एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी ने समूह और उसके प्रमोटरों के खिलाफ कोलकाता पुलिस की एफआईआर का अध्ययन करने के बाद 2013 में एक आपराधिक मामला दर्ज किया था। ईडी सूत्रों की माने तो इस समूह की कंपनी द्वारा जुटाए गए कुल धन की मात्रा लगभग 2,459 करोड़ रुपये है, जिनमें से लगभग 1,983 करोड़ रुपये अब तक जमाकर्ताओं को चुकाए नहीं गए हैं। ईडी इस मामले में अब तक करीब 600 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर चुकी है। पीएमएलए के तहत अटैचमेंट का उद्देश्य अभियुक्त को गलत तरीके से अर्जित धन का लाभ प्राप्त करने से वंचित करना है और इस तरह के आदेश के खिलाफ 180 दिनों के भीतर अधिनियम के न्यायिक प्राधिकरण के समक्ष अपील की जा सकती है।
फिर से सारधा मामले में कार्रवाई शुरू, पूर्व वित्त मंत्री की पत्नी सहित कई नेताओं की संपत्ति अटैच की ईडी ने
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