मुख्यमंत्री से गुहार, लॉकडाउन में न ली जाये स्कूल फीस

अभिभावकों के संगठन से जुड़े 9 हजार लोग
प्रीति यादव,कोलकाता : लॉकडाउन के दौरान जहां लोगों का जीवनयापन करना मुश्किल हो रहा है, ऐसे में अभिभावकों के सामने एक और बिरल समस्या आ खड़ी हो गयी है स्कूल फीस की। हर अभिभावक अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उन्हें बेहतर शिक्षा देने की हर सम्भव प्रयास करते है। ऐसे में इन परिस्थिति में उनके सामने स्कूल फीस की सबसे बड़ी दिक्कत आ पड़ी है। इसे लेकर उन्होंने एक संगठन के माध्यम से कुल 9000 अभिभावकों को जोड़ा है और मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगायी है। उनका तर्क है कि जब स्कूल बंद थे, आर्थिक मंदी थी, स्कूल बसें चली ही नहीं, तो फिर इस समय की फीस क्यों मांगी जा रही है। इसे मानविक दृष्टिकोण से देखा जाये। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दिये गये पत्र में हर बिन्दुओं को बताया गया है। दूसरी तरफ राज्यपाल जगदीप धनखड़, शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी का भी ध्यान आकर्षित किया गया है। इनका कहना है कि कई निजी स्कूल वक्त की नजाकत को समझे बिना अमानवीय रवैया अपना रहे हैं। राज्य सरकार से कोई ठोस कदम उठाने की अपील की गयी है। शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अभिभावक अपनी जगह पर सही हो सकते हैं लेकिन मुसीबत यह है कि ये स्कूल स्वायत हैं। इन पर राज्य सरकार दबाव नहीं डाल सकती है।
9000 अभिभावक जुड़े भारत बचाओ संगठन से
भारत बचाओ संगठन के माध्यम से 9000 अभिभावक जुड़े हैं। उनका कहना है कि अगर बाध्य किया गया तो हमलोगाें को लोकतांत्रिक आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा। उनकी मुसीबत यह है कि लॉकडाउन के दौरान व्यवसाय चौपट हो गय। जो लोग नौकरी करते थे उन्हें सेलरी नहीं मिली या कम मिली, जिससे घर ही चलाना मुश्किल है। ऐसे में अगर स्कूल वाले फीस देने के लिए बाध्य करने लगें तो हमलोग कहां जायेंगे।
स्कूलों के रवैये से परेशान है अभिभावक
अभिभावकों का कहना है कि ऑनलाइन क्लास के रूप में कुछ दिन क्लास देने के बाद गर्मी की छुट्टी की घोषणा कर दी गयी। उसके कुछ दिनों के बाद ही स्कूलों द्वारा मैसेज के माध्यम से फीस मांगी जा रही है। उनका कहना है कि उनके बच्चों को जितना पढ़ाया जा रहा है वह बस उतना ही फीस स्कूल को देंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ स्कूल लिंक के माध्यम से बच्चों को नयी किताबें खरीदने का दबाव भी उनपर दे रहे हैं। वह किसी तरह पूरानी किताबों की व्यवस्था करके अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ऐसे में वे उन किताबों को स्कूल से क्यूं ले।
अभिभावकों ने की स्कूल से मांग
अभिभावकों ने की स्कूल से मांग

1. अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक 6 महीने की इस अवधि के दौरान उनकी वास्तविक लागत की गणना करें और स्कूल में छात्रों की कुल संख्या से उन्हें विभाजित करें और अपनी वेबसाइट के माध्यम से घोषित करें कि अभिभावक को प्रति माह केवल इस राशि का भुगतान करना चाहिए।

2. स्कूलों को तिमाही भुगतान पर जोर नहीं देना चाहिए।

3. विलंब शुल्क / जुर्माना या किसी अन्य अधिभार से छूट दी जानी चाहिए।

4. जिन लोगों ने पहले ही शुल्क का भुगतान किया है, उनके लिए या तो अतिरिक्त भुगतान वापस किया जाना चाहिए या भविष्य की फीस में समायोजित किया जाना चाहिए।

5. स्कूलों को अपने शिक्षण / गैर-शिक्षण कर्मचारियों के वेतन में कोई कटौती / स्लैश नहीं करना चाहिए।

इन्होंने ने दिया धन्यवाद

सुरज अग्रवाल व विनीत रुइया ने कहा कि  सन्मार्ग ने सदा की तरह पाठकों की आवाज सरकार तक पहुंंचायी है। उन्होंने सोशल मीडिया में लिखा ​ कि लाखों लोगों तक हमारी बात पहुंचाने के लिए सन्मार्ग को धन्यवाद।

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