
आगे आने वाले उद्यमियों को 50 करोड़ रुपये तक सहयोग करेगा विभाग
बांकुड़ा : फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने कहा कि राज्य सरकार अगर सहयोग करे तो बांकुड़ा जिला ही नहीं बल्कि पूरे बंगाल में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। केंद्र सरकार इस इंडस्ट्रीज को विकसित करने के लिए राज्य सरकार एवं उद्यमियों को हर तरह से सहयोग करने को तैयार है। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज के स्थापना से रोजगार का सृजन होगा। इंडियन चेम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा बांकुड़ा शहर स्थित रवींद्र भवन में आयोजित प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना को लेकर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मंत्री ने उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने से पहले फूड प्रोसेसिंग विभाग उपेक्षित था। मोदी सरकार के आने से पहले इस विभाग को बजट में महज 400 करोड़ रुपये आवंटित किये जाते थे लेकिन मोदी सरकार ने इस परियोजना को बढ़वा देने के लिए 1400 करोड़ रुपये आवंटित किये। उन्होंने कहा कि देश में जहां भी फसलों, फलों एवं साक-सब्जियों का अच्छा उत्पादन होता है, वहां फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है। औद्योगिक विकास के क्षेत्र में पिछड़े बांकुड़ा, झारग्राम जिले में आलू, आम व अन्य फसलों व साक-सब्जियों का अच्छा उत्पादन होता है। यह जानकारी यहां के सांसद डॉ. सुभाष सरकार, सौमित्र खां एवं कुनार हेम्ब्रम से मिली है। वे लोग चाहते हैं कि यहां, मेगा फूड पार्क एवं मिनी फूड पार्क स्थापित करने के लिए उद्यमी आगे आयें। मेगा फूड पार्क के लिए 50 करोड़ और मिनी फूड पार्क के लिए 30 करोड़ रुपये केंद्र की ओर से सहयोग किया जायेगा। उन्होंने कहा कि बंगाल में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं लेकिन राज्य सरकार के सहयोग के बिना यह संभव नहीं है कारण जमीन, पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं राज्य सरकार उपलब्ध करा सकती हैं। राज्य सरकार चाहे तो वह इस विषय में वार्ता को तैयार है। इससे किसानों के साथ-साथ युवा पीढ़ी लाभान्वित होगी। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए डॉ. सुभाष सरकार ने कहा कि बांकुड़ा जिले में 19.18 लाख मीट्रिक टन धान, 995370 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन, 60 हजार हेक्टेयर जमीन पर साक-सब्जियों का उत्पादन, 4300 हेक्टेयर जमीन पर आम का उत्पादन होता है लेकिन कृषि आधारित शिल्प नहीं रहने के कारण किसानों को सही मूल्य नहीं मिल पाता है। इस अवसर पर इंडियन चेम्बर ऑफ कॉमर्स के निदेशक मधुपर्णा भौमिक ने कहा कि कार्यशाला में करीब 200 प्रतिनिधि उपस्थित थे।