

सांकतोड़िया : सोदपुर एरिया की चिनाकुड़ी खदान संख्या एक और तीन के लिए एस्क्रो समझौते पर सफलतापूर्वक हस्ताक्षर किए गए। यह भारत की सबसे गहरी कोयला खदान है और ईसीएल के सोदपुर क्षेत्र के प्रशासनिक नियंत्रण में संचालित होती है। यह हस्ताक्षर नए दिशा-निर्देश 2025 के अनुरूप किया गया, जो जिम्मेदार और टिकाऊ खदान बंद करने की प्रथाओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एस्क्रो समझौते पर कोयला नियंत्रक संगठन, कोयला मंत्रालय, ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बीच हस्ताक्षर किए गए। मौके पर सोदपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक अभिजीत गंगोपाध्याय, राजू रजक विभागाध्यक्ष (भूविज्ञान, खदान बंद करने की योजना, भू-तकनीकी एवं नवीन पहल विभाग) ने हस्ताक्षर समारोह के दौरान ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड का प्रतिनिधित्व किया। मालूम हो कि चिनाकुड़ी खदान संख्या एक वर्ष 2008 से बंद पड़ी है। इसमें अभी भी 72 मिलियन टन कोयला रिजर्व है। ईसीएल प्रबंधन इस खदान को चलाने में असमर्थ होने के कारण ग्लोबल टेंडर जारी किया था। इसमें कई देशों ने भाग लिया परंतु नियम और शर्तों के बीच समझौता नहीं होने के कारण पीछे हट गया था। प्रबंधन ने फिर रेवेन्यू शेयरिंग मोड में चलाने के लिए दिया है। फिलहाल यह खदान रेवेन्यू शेयरिंग मोड में चालू किया गया है।