सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की अंडमान एवं निकोबार राज्य आयोजन समिति ने द्वीपों में पशुपालन से जुड़े मुद्दों को गंभीरता से उठाते हुए निदेशालय स्तर पर हस्तक्षेप किया है। राज्य आयोजन समिति के सचिव डी. अय्यप्पन और राज्य सचिवालय सदस्य पी.के. खालिद ने पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवाएं निदेशालय के निदेशक से मुलाकात की और पशुपालकों को हो रही समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की।
नेताओं ने निदेशक को अवगत कराया कि द्वीपों में बीते वर्षों के दौरान पशुओं की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन इसके अनुपात में दूध उत्पादन में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है। इस असंतुलन के पीछे उन्होंने चरागाह भूमि की कमी, चारे की बढ़ती लागत और पशु चिकित्सा सेवाओं की सीमित उपलब्धता को प्रमुख कारण बताया।
उन्होंने मांग की कि द्वीपों के ग्राम पंचायत क्षेत्रों में उपलब्ध चरागाह भूमि का संरक्षण और रखरखाव सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, इस भूमि पर किसी भी प्रकार के अतिक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन को तत्काल कदम उठाने चाहिए, ताकि पशुपालकों को अपने पशुओं के लिए चारे की समस्या न झेलनी पड़े।
मार्क्सवादी नेताओं ने यह भी सुझाव दिया कि कैटल फीड (पशु चारा) पर सब्सिडी देने की एक योजना लागू की जाए, जैसा कि देश के अन्य राज्यों में किया गया है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की तरह अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में भी पशुपालकों को राहत देने के लिए ऐसी योजनाओं की आवश्यकता है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय गोकुल मिशन और राष्ट्रीय पशु एवं भैंस प्रजनन कार्यक्रम जैसे योजनाएं द्वीपों में लागू तो हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर पशुपालकों को इसका कोई ठोस लाभ नहीं मिल रहा है। इसके लिए उन्होंने एक स्थानीय पशु प्रजनन नीति तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जैसा कि केरल जैसे राज्यों में प्रभावी रूप से किया गया है।
साथ ही, नेताओं ने निदेशक का ध्यान उत्तर और मध्य अंडमान के पशु चिकित्सालयों में स्टाफ की कमी की ओर भी दिलाया। उन्होंने कहा कि कई केंद्रों पर आवश्यक संख्या में पशु चिकित्सक व सहायक स्टाफ नहीं होने से पशुपालकों को समय पर उपचार सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।
माकपा नेताओं ने आशा जताई कि प्रशासन इन सुझावों को गंभीरता से लेगा और द्वीपों में पशुपालकों की स्थिति सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाएगा।