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SIR का मुद्दा विधानसभा तक ?

एसआईआर के भय से हुई ‘मौतों’ की निंदा करने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव लाने पर विचार : तृणमूल

सबिता, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : विधानसभा के शीतकालीन सत्र में एसआईआर का मुद्दा उठ सकता है। तृणमूल एसआईआर के खिलाफ सदन में प्रस्ताव ला सकती है। अगर ऐसा होता है तो कुल मिलाकर सत्र हंगामेदार हो सकता है। शीतकालीन सत्र कब से शुरू होगा, फिलहाल इसकी तारीख तय नहीं हुई है। सूत्रों के मुताबिक जल्द ही इसकी तारीख तय हो सकती है। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू कर दिया है। तृणमूल ने आरोप लगाया है कि आयोग ने केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को खुश करने के लिए यह प्रक्रिया शुरू की है। एसआईआर के खिलाफ तृणमूल ने मंगलवार को महारैली निकाली जिसका नेतृत्व स्वयं तृणमूल सुप्रीमो व सीएम ममता बनर्जी ने किया। तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी भी इस रैली में शामिल थे।

स्पीकर विमान बनर्जी की प्रतिक्रिया :

* SIR पर चर्चा संभव है।

* अगर कोई प्रस्ताव आता है, तो वह उस पर विचार करेंगे।

* हालांकि, उन्होंने एसआईआर पर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की और कहा कि प्रक्रिया ईमानदारी से होनी चाहिए।

* किसी भी पात्र मतदाता का नाम न हटे।

* उनके क्षेत्रों में कई बीएलओ (Booth Level Officer) को पर्याप्त फॉर्म नहीं मिले हैं कहीं 5 या 10 ही मिले हैं, जबकि 50 फॉर्म देने की बात कही गई थी।

‘‘ इसे मंजूरी मिलते ही सदन में पेश करेंगे’’

पार्टी विधायक दल के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि प्रस्ताव को प्रतीकात्मक लेकिन मजबूत प्रतिक्रिया के रूप में पेश करने के लिए चर्चा चल रही है, जिसे तृणमूल ‘‘बंगाल के मतदाताओं को अस्थिर करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास’’ कहती है। उन्होंने कहा, ‘‘एक बार नेतृत्व इसे मंजूरी दे दे तो हम इसे सदन में पेश करेंगे।’’पार्टी के एक वरिष्ठ विधायक ने ‘कहा, ‘‘यह कोई सामान्य मतदाता सूची अद्यतन नहीं है, यह राजनीति से प्रेरित अभियान है जिसका उद्देश्य लोगों को डराना और बंगाल के लोकतांत्रिक ताने-बाने से छेड़छाड़ करना है।’’ उन्होंने कहा कि विधानसभा को इस दहशत की मानवीय कीमत के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए और नागरिकों को आश्वस्त करना चाहिए कि उनके अधिकार सुरक्षित हैं। तृणमूल के एक अन्य विधायक ने कहा, ‘‘इस राजनीति से प्रेरित कवायद के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर चर्चा चल रही है। लेकिन अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है क्योंकि आगामी शीतकालीन सत्र की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं।’’

केरल सरकार ने भी इसी तरह का कदम उठाया

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने भी इसी तरह का कदम उठाया था। केरल विधानसभा ने 29 सितंबर को एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें एसआईआर प्रक्रिया से उत्पन्न ‘‘सामाजिक संकट और बहिष्कार संबंधी भय’’ पर चिंता व्यक्त की गई थी।

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