बाढ़ पीड़ितों के लिए मदद राशि का चेक दिखाते पालिका के चेयरमैन सोमनाथ श्याम, सम्राट चक्रवर्ती, तापस दे  
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पानीहाटी नगर पालिका ने बाढ़ पीड़ितों के लिए बढ़ाया मदद का हाथ

मुख्यमंत्री के आह्वान पर 25,000 रुपये का दान, केंद्र पर भेदभाव का आरोप

निधि, सन्मार्ग संवाददाता

पानीहाटी (उत्तर 24 परगना): उत्तर बंगाल में आई भयानक बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा किए गए मानवीय आह्वान का असर दिखना शुरू हो गया है। इसी कड़ी में, पानीहाटी नगर पालिका के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने आगे आकर बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए अपनी तरफ से आर्थिक योगदान दिया है।

पानीहाटी नगर पालिका के चेयरमैन सोमनाथ दे, सीआईसी (सदस्य-समिति) सम्राट चक्रवर्ती, और तापस दे ने एकजुटता दिखाते हुए संयुक्त रूप से 25,000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की है। यह राशि उत्तर बंगाल के उन क्षेत्रों के लोगों की मदद के लिए भेजी जाएगी जो बाढ़ और भूस्खलन के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं।

संकट में एकजुटता का संदेश

इस अवसर पर बोलते हुए, पालिका चेयरमैन सोमनाथ दे ने संकट की इस घड़ी में सामाजिक एकजुटता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "प्राकृतिक आपदा के कारण जो लोग पीड़ित हैं, उनके साथ खड़े होना हमारा नैतिक कर्तव्य है। संकट की इस घड़ी में सभी को अपनी क्षमता के अनुसार एकजुट होकर और सामूहिक रूप से इन आपदा पीड़ितों की सहायता करनी चाहिए।"

केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप

वहीं, सीआईसी सम्राट चक्रवर्ती ने इस मौके पर केंद्र सरकार के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई और भेदभावपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "उत्तर बंगाल में इतनी बड़ी प्राकृतिक आपदा आई है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसके बावजूद, केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई अपेक्षित सहायता या राहत पैकेज नहीं मिला है। केंद्रीय एजेंसियों और सरकार का यह भेदभावपूर्ण व्यवहार बिल्कुल भी स्वीकार्य और अपेक्षित नहीं है।"

पहाड़ों को सामान्य स्थिति में लाने का लक्ष्य

सम्राट चक्रवर्ती ने आगे कहा कि केंद्र की उपेक्षा के बावजूद, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सांसद अभिषेक बनर्जी सहित टीएमसी के अन्य पदाधिकारी और जन प्रतिनिधि पूरी सक्रियता के साथ बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए आगे आए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ही यह दान दिया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य है कि पहाड़ों में जीवन जल्द से जल्द अपनी सामान्य लय में लौट सके। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इन सामूहिक प्रयासों से उत्तर बंगाल के पहाड़ों में पुनः पर्यटन की रौनक लौटेगी और स्थानीय लोगों के चेहरे पर मुस्कान वापस आएगी।

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