LIC ने इसी साल मई में किया था निवेश
LIC का दावा : निदेशक मंडल की अनुमोदित नीतियों के अनुसार किया गया निवेश
अदाणी का दावा : रिपोर्ट पूरी तरह निराधार
नयी दिल्ली : अमेरिकी अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ के इस दावे कि भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने अदाणी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए मई 2025 में ग्रुप में 3.9 अरब डॉलर (करीब 33 हजार करोड़ रुपये) निवेश किया। अखबार के इस दावे के बाद विपक्ष ने सरकार पर ग्राहकों की मेहनत की कमाई का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (PAC) से इसकी जांच की मांग की है। हालांकि LIC ने शनिवार को इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उसने अदाणी समूह की कंपनियों में निवेश स्वतंत्र रूप से और विस्तृत जांच-पड़ताल के बाद निवेश किया और ऐसा निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार किया गया था। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग या किसी अन्य निकाय की ऐसे (निवेश) निर्णयों में कोई भूमिका नहीं होती है।
क्या है वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में?
‘वॉशिंगटन पोस्ट’ ने दावा किया है कि भारतीय अधिकारियों ने एक योजना बनाकर इसी साल मई में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें LIC के अदाणी समूह में लगभग 3.9 अरब डॉलर निवेश को लेकर बात की गयी थी। सरकारी स्वामित्व वाली LIC को एक प्रतिष्ठित कंपनी के रूप में देखा जाता है जो गरीबों और ग्रामीण इलाक़ों में परिवारों की बीमा संबंधी और वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करती है। अखबार में कहा है कि यह योजना उसी महीने आयी जिस महीने अदाणी पोर्ट्स कंपनी को मौजूदा क़र्ज़ को रीफ़ाइनेंस करने के लिए बॉन्ड जारी कर लगभग 58.5 करोड़ डॉलर जुटाने थे। रिपोर्ट के अनुसार 30 मई को अदाणी ग्रुप ने बताया कि इस पूरे बॉन्ड को एक ही निवेशक LIC ने पूरा कर दिया है। अखबार में आरोप लगाया गया है कि LIC को सरकारी अधिकारियों ने इस साल अदाणी समूह में निवेश करने के लिए प्रभावित किया था जबकि उस समय अदानी समूह भारी ऋण में था और अमेरिका में जांच का सामना कर रहा था।
'सरकार में अदाणी के प्रभाव का उदाहरण'
अख़बार के अनुसार यह सरकारी अधिकारियों की एक बड़ी योजना का एक छोटा-सा हिस्सा था और यह सरकार में अदाणी के प्रभाव का उदाहरण है। अख़बार का कहना है कि उसकी रिपोर्ट LIC और फाइइनैंशियल सर्विसेस विभाग (DFS) से मिले दस्तावेज़ों को आधार बनाकर लिखी गयी है। DFS, वित्त मंत्रालय के तहत काम करता है। अख़बार का कहना है कि उसने इन एजेंसी से जुड़े कई मौजूदा अधिकारियों और पूर्व अधिकारियों से बात की, साथ ही अदाणी ग्रुप के वित्तीय लेनदेन के बारे में जानकारी रखने वाले तीन बैंकरों से बात की. इन सभी ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर अख़बार को इंटरव्यू दिया था। यह योजना DFS के अधिकारियों ने LIC और नीति आयोग के साथ मिलकर बनाई थी. नीति आयोग भारत सरकार फंडेड थिंक टैंक है जिसे योजना आयोग के स्थान पर बनाया गया है।
विस्तृत जांच-पड़ताल के बाद निवेश किया : LIC
दूसरी ओर भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC ने इन आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि उसने पिछले कुछ वर्षों में बुनियादी बातों और विस्तृत जांच-पड़ताल के आधार पर विभिन्न कंपनियों में निवेश के फैसले लिये हैं। भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में इसका निवेश मूल्य 2014 से 10 गुना बढ़कर 1.56 लाख करोड़ रुपये से 15.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो मज़बूत फंड प्रबंधन को दर्शाता है। उसने पिछले कुछ वर्षों में निवेश के फैसले कंपनियों बुनियादी आंकड़ों और जांच-पड़ताल के आधार पर लिये हैं। उसने जांच-पड़ताल के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित किया है और इसके सभी निवेश निर्णय सभी हितधारकों के सर्वोत्तम हित में, मौजूदा नीतियों, अधिनियमों के प्रावधानों और नियामक दिशा-निर्देशों के अनुपालन में लिये गये हैं।
दावे निराधार : अदाणी ग्रुप ने कहा
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस मामले में उन्होंने अदाणी ग्रुप की प्रतिक्रिया जानने के लिए उनसे संपर्क किया। अदाणी ग्रुप ने साफ़तौर पर LIC के फंड के निवेश को लेकर किसी कथित सरकारी योजना में शामिल होने से इनकार किया है। कंपनी ने कहा है कि LIC कई कॉर्पोरेट समूहों में निवेश करती है और अदाणी को फेवर करने के दावे भ्रामक हैं। इसके अलावा LIC ने हमारे पोर्टफोलियो में अपने निवेश से रिटर्न कमाया है। कंपनी ने यह भी कहा कि अनुचित राजनीतिक पक्षपात के दावे निराधार हैं।
विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया
विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि LIC द्वारा ‘अदाणी समूह पर भरोसा दिखाने’ के नाम पर 33 हज़ार करोड़ रुपये के सार्वजनिक पैसों का जबरन दुरुपयोग किया गया है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर एक के बाद एक कई ट्वीट किये हैं।पार्टी ने लिखा है कि LIC से यह निवेश जबरन करवाया गया जबकि LIC पहले ही अदाणी के शेयरों में निवेश कर अरबों का नुक़सान झेल चुका था। पार्टी ने इस मामले की जांच जेपीसी से कराने की मांग की है और कहा है कि पहले कदम के तौर पर संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) को यह जांच पूरी तरह करनी चाहिए। वहीं TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने भी कहा कि गौतम अदाणी जब इस साल की शुरुआत में भारी कर्ज में डूबे थे, अमेरिका में घूसखोरी के आरोपों का सामना कर रहे थे तब केंद्र सरकार और LIC ने अदाणी ग्रुप में निवेश किया।