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हिंदू राष्ट्र शक्ति ने की देवी-देवताओं की तस्वीरों वाले पटाखों पर प्रतिबंध की मांग

सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में धार्मिक भावनाओं के संरक्षण की दिशा में एक नई मांग सामने आई है। सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के उद्देश्य से हिंदू राष्ट्र शक्ति की स्थानीय इकाई ने उपराज्यपाल एडमिरल डी. के. जोशी (सेवानिवृत्त) को ज्ञापन सौंपते हुए देवी-देवताओं की तस्वीरों वाले पटाखों की बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

संस्था के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर लाल ने बताया कि पोर्ट ब्लेयर के आईटीएफ ग्राउंड, भातु बस्ती, और स्विमिंग पूल क्षेत्र सहित अन्य बाजारों में खुलेआम ऐसे पटाखों की बिक्री हो रही है जिन पर भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और अन्य देवी-देवताओं की छवियां छपी होती हैं। उन्होंने कहा कि जब इन पटाखों को जलाया जाता है, तो इससे उन पवित्र छवियों का अपमान होता है, जो करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी हैं।

राकेश्वर लाल ने इस प्रथा को धार्मिक मर्यादा का गंभीर उल्लंघन बताया और कहा कि यह कार्य 'भारतीय न्याय संहिता' (बीएनएस) के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि इस प्रकार के उत्पादों की बिक्री, वितरण और निर्माण पर तत्काल रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने पहले ही इस तरह के पटाखों पर प्रतिबंध लगाकर एक सकारात्मक मिसाल पेश की है, जिसका पालन अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी करना चाहिए। हिन्दू राष्ट्र शक्ति का कहना है कि अंडमान प्रशासन को भी इसी तर्ज पर सक्रियता से छापेमारी अभियान चलाना चाहिए, ताकि इस अपमानजनक प्रथा पर नियंत्रण पाया जा सके।

संस्था ने सिर्फ प्रशासन से ही नहीं, बल्कि जनता से भी अपील की है कि वे ऐसे पटाखों को न खरीदें और न ही जलाएं। उन्होंने कहा कि धार्मिक प्रतीकों का सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है, और इनका व्यावसायिक इस्तेमाल न केवल आस्था का अपमान है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी ठेस पहुंचाता है।

यह मांग त्योहारों के मौसम में उस संवेदनशील पहलू की ओर ध्यान आकर्षित करती है, जहां श्रद्धा और व्यापारिक लाभ के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। हिंदू राष्ट्र शक्ति की यह पहल धार्मिक चेतना और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा की दिशा में एक गंभीर और विचारणीय मुद्दा बनकर उभर रही है।

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