गांधीनगर : गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने शुक्रवार को एक बड़े फेरबदल में अपनी मंत्रिपरिषद में 19 नये चेहरों को शामिल किया और अपनी पिछली टीम से छह को बरकरार रखा। हर्ष संघवी को उपमुख्यमंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया जबकि क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को भी मंत्रिपरिषद में जगह मिली। इस फेरबदल के साथ मंत्रिपरिषद की कुल संख्या अब मुख्यमंत्री सहित 26 हो गयी है, जो पहले 17 थी।
पटेल कैबिनेट में पहली बार डिप्टी CM
मंत्रिपरिषद का पुनर्गठन 2027 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से दो साल पहले और स्थानीय निकाय चुनावों से कुछ महीने पहले हुआ। कुल 182 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में सदन की कुल संख्या का 15 प्रतिशत या 27 मंत्री हो सकते हैं। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने नये मंत्रियों के साथ-साथ उन नेताओं को भी पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी जिन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है और राज्य मंत्रियों से राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है।
अब तक गृह राज्यमंत्री थे संघवी
सूरत शहर के मुजारा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले संघवी ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वे अब तक गृह राज्यमंत्री थे। पटेल के मुख्यमंत्री के रूप में पिछले चार साल के कार्यकाल में यह पहली बार है कि राज्य में उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया है। आखिरी बार पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली सरकार में नितिन पटेल उपमुख्यमंत्री थे।
जातीय संतुलन पर ध्यान
संघवी सहित छह विधायकों को मंत्रिमंडल में बरकरार रखा गया है। सभी 16 मंत्रियों ने हालांकि गुरुवार को इस्तीफा दे दिया था लेकिन छह मंत्रियों के इस्तीफे मुख्यमंत्री ने स्वीकार नहीं किये थे। इन छह में से तीन कनुभाई पटेल, ऋषिकेश पटेल और कुंवरजी बावलिया पहले कैबिनेट मंत्री थे जबकि संघवी, प्रफुल्ल पानसेरिया और पुरुषोत्तम सोलंकी राज्यमंत्री थे। इनमें से केवल संघवी और पानसेरिया ने शुक्रवार को दोबारा शपथ ली। संघवी को उपमुख्यमंत्री और पानसेरिया को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया।
जातीय समीकरण
मंत्रिपरिषद में शामिल किये गये 19 विधायकों में जीतू वाघाणी, अर्जुन मोढवाडिया और मनीषा वकील शामिल हैं। ‘नये’ मंत्रिमंडल में 8 OBC, 3 SC, 4 ST और 3 महिलाएं हैं। CM सहित 8 मंत्री पटेल समाज से हैं। खास बात यह है कि हटाये गये मंत्रियों पर न तो कोई आरोप था और न कोई कानूनी केस। इसके बावजूद सरकार में बड़े फेरबदल को गुजरात में 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।