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गवाह को धमकाने वाले अपराध पर पुलिस सीधे दर्ज कर सकती है FIR : कोर्ट

कोर्ट ने कहा : गवाह को धमकाने का अपराध संज्ञेय

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 195A के तहत गवाह को धमकाने का अपराध संज्ञेय है, जिसके तहत पुलिस बिना कोर्ट की औपचारिक शिकायत की प्रतीक्षा किये सीधे FIR दर्ज कर सकती है और जांच शुरू कर सकती है।

केरल हाई कोर्ट का फैसला रद्द

न्यायमूर्ति संजय कुमार की अगुवाई वाले पीठ ने केरल हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि धारा 195A के तहत गवाह को धमकाने के अपराध के लिए पुलिस FIR दर्ज नहीं कर सकती और ऐसे अपराधों की सुनवाई केवल संबंधित कोर्ट द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 195 और 340 के तहत लिखित शिकायत के माध्यम से ही की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने 28 अक्टूबर को दिये फैसले में हाई कोर्ट के इस नजरिये से असहमति जताते हुए कहा कि धारा 195A IPC को जानबूझकर एक अलग और विशिष्ट अपराध के रूप में तैयार किया गया है, जिसका प्रक्रिया और रास्ता अलग है।

इन धाराओं में कार्रवाई कर सकती है पुलिस

पीठ ने फैसले में कहा कि किसी धमकाये गये गवाह से पहले कोर्ट में जाकर शिकायत दर्ज कराने की अपेक्षा करना प्रैक्टिकल नहीं लगता है। अगर उस व्यक्ति को संबंधित अदालत के समक्ष जाकर धमकी की सूचना देनी पड़े और इसके लिए धारा 195(1)(b)(i) CrPC के तहत शिकायत तथा धारा 340 CrPC के तहत जांच की आवश्यकता हो, तो यह प्रक्रिया केवल न्यायिक प्रक्रिया को पंगु बना देगी। पीठ ने पुलिस की शक्ति को याद दिलाते हुए कहा कि धारा 195A IPC के तहत अपराध संज्ञेय है और जब ऐसा है, तो CrPC की धारा 154 और 156 के तहत पुलिस की कार्रवाई करने की शक्ति पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता।

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