शुक्रवार को एपीडीआर, नो एनआरसी मूवमेंट सहित कई संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेंस किया  
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SIR के विरोध में आज 14 संगठन रास्ते पर

सबिता, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : चुनाव आयोग बिहार के बाद अब बंगाल में एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिविजन) की तैयारी में है। राज्य में अगले साल विधानसभा का चुनाव है। इसे लेकर राजनीति गरमायी हुई है। अब एसआईआर के विरोध में ह्यूमन राइट्स और सामाजिक संस्थाएं आज यानी शनिवार को सड़क पर उतरकर प्रतिवाद जतायेंगी। शुक्रवार को एपीडीआर, नो एनआरसी मूवमेंट सहित कई संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रेस क्रांफ्रेंस कर एसआईआर का विरोध किया। एपीडीआर के जनरल सेक्रेटरी रंजीत सुर ने कहा कि शनिवार को दोपहर 2 बजे कॉलेज स्क्वायर से प्रतिवाद रैली निकलेगी और धर्मतल्ला तक जायेगी। इस रैली में 14 से अधिक संगठन शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि हमारी मुख्य मांग है कि चुनाव आयोग अपनी एसआईआर की योजना रद्द करे। हम सटीक मतदाता सूची भी चाहते हैं लेकिन एसआईआर सटीक मतदाता सूची बनाने के लिए नहीं है। नो एनआरसी मूवमेंट के फाउंडर कमल सुर ने दावा किया कि एसआईआर लागू करके लोगों से नागरिकता छीनी जा सकती है। एसआईआर एनआरसी से भी ज्यादा खतरनाक है। उन्होंने एसआईआर फॉर्म पर भी सवाल उठाया है। उन्होंनें आरोप लगाया कि इन आंकड़ों के आधार पर एनआरसी की जाएगी। वहीं चुनाव आयोग एसआईआर के जरिये मतदाता सूची को दुरुस्त और साफ-सुथरा करने का दावा कर रहा है। वहीं तृणमूल सहित कई राजनीतिक पार्टियां इसे असल मतदाताओं से उनका मताधिकार छीनने का आरोप लगा रही हैं। तृणमूल कांग्रेस और अन्य पार्टियां इस निर्णय या प्रक्रिया के खिलाफ हैं। उनका आरोप है कि एसआईआर से असल मतदाता – जिन लोगों को वोट देने का वास्तविक अधिकार है। उनका अधिकार छीना जा सकता है।

राजनीतिक दलों का आरोप

नेताओं का आरोप है कि विशेष समुदायों, जैसे मतुआ समुदाय को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। राज्यसभा सांसद ममता बाला ठाकुर ने इस प्रक्रिया को "चुपके से धोखाधड़ी" करार दिया है। तृणमूल का मानना है कि भाजपा इस प्रक्रिया का उपयोग अपने चुनावी लाभ के लिए कर रही है।

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