लोगों दस्तावेज़ सौंपते राज्य मंत्री 
सिलीगुड़ी

मंत्री मलय घटक ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का किया दौरा

अलीपुरदुआर : राज्य मंत्री मलय घटक ने अलीपुरदुआर एक नंबर प्रखंड के जलदापाड़ा और नतुनपाड़ा बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। गुरुवार को उन्होंने इलाके का दौरा कर बाढ़ प्रभावित लोगों से बातचीत की तथा सरकारी राहत एवं पुनर्वास कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा की। उनके साथ राज्यसभा सांसद प्रकाश चिक बड़ाइक, अलीपुरदुआर के विधायक सुमन कांजीलाल और प्रशासन के अन्य अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। इस दिन दुआरे सरकार सरकारी शिविर का दौरा करने वाले मंत्री ने बाढ़ में खोए या क्षतिग्रस्त हुए महत्वपूर्ण दस्तावेज़ पीड़ितों को सौंपे। उन्होंने कहा कि वोटर कार्ड, आधार, राशन कार्ड सहित विभिन्न आवश्यक सरकारी दस्तावेज़ों की डुप्लिकेट प्रतियाँ शीघ्र उपलब्ध कराने की पहल की गई है। गौरतलब है कि पिछले 5 अक्टूबर को लगातार हुई बारिश के कारण उत्तर बंगाल के एक बड़े इलाके में बाढ़ की भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

अलीपुरदुआर ज़िला के तोर्षा नदी के प्रचंड प्रवाह से जिले के कई इलाके में भारी तबाही हुई। अलीपुरदुआर एक नंबर प्रखंड के शालकुमार एक ग्राम पंचायत के जलदापारा और नतूनपारा में ही कई घर तबाह हो गए और विशाल कृषि भूमि जलमग्न हो गई। कई घर अभी भी घुटने से कमर तक गाद में दबे हुए हैं। गांव के कई किसान अपना सब कुछ खो चुके हैं और घोर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। बीघा-बीघा ज़मीन पूरी तरह से बर्बाद हो गई है, जिसमें चावल और सब्ज़ियों की फ़सल भी शामिल है। गुरुवार को क्षेत्र का निरीक्षण के बाद, मंत्री मलय घटक ने पत्रकारों से कहा, “माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश पर आज हम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने आए हैं। प्रभावित लोगों को दुआरे सरकार सरकारी शिविर के माध्यम से राहत और सरकारी सेवाएं पहले से ही मिल रही हैं। बाढ़ में तबाह हुए लोगों के दस्तावेज़ों की प्रतिलिपियां शीघ्रता से सौंपने की व्यवस्था की गई है।

सरकार लोगों के साथ है और हर संभव मदद की जाएगी। वहीं जिले में आई बाढ़ की स्थिति के लिए पड़ोसी देश भूटान को ज़िम्मेदार ठहराते हुए मंत्री ने आगे कहा, भूटान से आने वाले पानी के अचानक बहाव से बंगाल के लोग बार-बार प्रभावित हो रहे हैं। नदी के तटबंध टूट रहे हैं, कृषि भूमि नष्ट हो रही है। इस समस्या के समाधान के लिए लंबे समय से भारत-भूटान नदी आयोग के गठन की मांग की जा रही है। मुख्यमंत्री द्वारा केंद्र को बार-बार पत्र लिखने के बावजूद, केंद्र सरकार ने अभी तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है।

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