हृदय रोग (हार्ट डिजीज) आज भारत में सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन चुका है। बदलती जीवनशैली, बढ़ता तनाव और असंतुलित खानपान ने हर आयु वर्ग के लोगों को इसके दायरे में ला दिया है। भारत को “हार्ट डिजीज का कैपिटल” कहा जाने लगा है। इस विषय पर सन्मार्ग ने बात की बीएम बिड़ला हार्ट रिसर्च सेंटर में कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अंजन सेवटिया से, जिन्होंने पिछले तीन दशकों में कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में हुए बड़े बदलावों को नजदीक से देखा है। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
सन्मार्ग : डॉक्टर साहब, इतने लंबे समय के दौरान आपने हृदय रोग के इलाज में क्या-क्या बदलाव देखे हैं?
डॉ. अंजन सेवटिया : मैंने अपनी मेडिकल ट्रेनिंग करीब 30 वर्ष पहले की थी। उस वक्त की कार्डियोलॉजी और आज की कार्डियोलॉजी में जमीन-आसमान का फर्क है। पहले कार्डियोलॉजी केवल एक मेडिकल स्पेशलिटी हुआ करती थी, लेकिन अब यह पूरी तरह इंटरवेंशनल हो गई है। आज कई हृदय रोगों का इलाज बिना किसी बड़ी सर्जरी के, केवल इंटरवेंशनल प्रोसीजर के ज़रिए किया जा सकता है। इससे न केवल इलाज आसान हुआ है, बल्कि अधिक से अधिक मरीजों को नई जिंदगी मिल रही है। आज “स्ट्रक्चरल हार्ट डिजीज” एक नई और उन्नत शाखा के रूप में उभर रही है, जिसमें हृदय की संरचनात्मक गड़बड़ियों का इलाज बिना खुले ऑपरेशन के किया जा सकता है। यह कार्डियोलॉजी में एक क्रांतिकारी परिवर्तन है।
सन्मार्ग : किन जीवनशैली (लाइफस्टाइल) की आदतों के कारण हार्ट प्रॉब्लम्स बढ़ रही हैं?
डॉ. अंजन सेवटिया : आज की सबसे बड़ी समस्या सेडेंट्री लाइफस्टाइल है। बहुत से लोग घंटों एक ही जगह बैठे रहते हैं, व्यायाम नहीं करते। हालांकि युवा पीढ़ी में कुछ हद तक जागरूकता आई है, लेकिन मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध लोग अब भी इसे गंभीरता से नहीं लेते। जैसे-जैसे देश में सम्पन्नता बढ़ रही है, लोगों की जीवनशैली उतनी ही अस्वस्थ होती जा रही है। जो लोग शारीरिक परिश्रम से परहेज़ करते हैं, उनमें हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसी बीमारियाँ अधिक पाई जाती हैं। इसके अलावा तनाव भी एक बड़ा कारण है, जो न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी हृदय को प्रभावित करता है।
सन्मार्ग : भारत को हार्ट डिजीज का कैपिटल कहा जाता है। इसके पीछे कौन-कौन से प्रमुख कारण हैं, और इसे रोका कैसे जा सकता है?
डॉ. अंजन सेवटिया : इसका सबसे बड़ा कारण डायबिटीज है। भारत को “विश्व का डायबिटीज कैपिटल” कहा जाता है, और यही हार्ट डिजीज का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर भी है। इसके अलावा तंबाकू सेवन, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और शारीरिक गतिविधियों की कमी प्रमुख कारण हैं। हमारे पारंपरिक आहार में प्रोटीन की मात्रा कम और कार्बोहाइड्रेट व फैट की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे मोटापा बढ़ता है और हृदय रोग का खतरा भी। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि लोग नियमित व्यायाम करें, संतुलित आहार लें, तंबाकू और शराब से परहेज़ करें तथा समय-समय पर अपना हेल्थ चेकअप कराएं।
सन्मार्ग : कार्डियोवेस्कुलर डिजीज (हृदय रोग) में मानसिक स्वास्थ्य (मेंटल हेल्थ) की क्या भूमिका है?
डॉ. अंजन सेवटिया : मानसिक स्वास्थ्य का इससे बहुत गहरा संबंध है। आज एक बड़ा वर्ग तनावग्रस्त जीवन जी रहा है। कार्यस्थल का दबाव, पारिवारिक जिम्मेदारियां और प्रतिस्पर्धा की दौड़ लोगों को मानसिक रूप से थका देती हैं। लोग अपनी क्षमताओं से अधिक काम करते हैं और बेहतर परिणाम की उम्मीद में खुद को दबाव में डालते हैं। यह निरंतर तनाव हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हार्ट डिजीज की ओर ले जाता है। साथ ही, सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग भी लोगों की मानसिक स्थिति पर असर डाल रहा है।
युवा वर्ग खुद की तुलना दूसरों से करता है, जिससे कम आत्मविश्वास और मानसिक दबाव बढ़ता है और यह अंततः हृदय को भी प्रभावित करता है।