पोस्ता में मजदूर गलजारी लाला व अन्य 
कोलकाता सिटी

कट्टरता नहीं, कलम और विकास के लिए करेंगे मतदान

पोस्ता के प्रवासी बिहारी मजदूरों की पुकार

कोलकाता : कोलकाता के बड़ाबाजार के पोस्ता इलाके की तंग गलियों में इन दिनों काम के बीच भी चर्चा सिर्फ एक ही विषय पर है और वह है बिहार का चुनाव।

इस बार छठ पूजा में सैकड़ों प्रवासी बिहारी मजदूर घर नहीं गये। इसके बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि वे इस बार वे छठ पूजा में घर नहीं गये क्योंकि उन्हें बिहार विधानसभा के चुनाव में मतदान करने जाना है। वे कहते हैं, “इस बार लोकतंत्र का महापर्व ही हमारा महापर्व है।” पोस्ता में रोजी-रोटी की तलाश में आये ये मजदूर पिछले कई दशकों से यहीं रह रहे हैं। कोई 35 साल पहले बिहार से आया था, तो कोई महज 12 साल की उम्र में।

दिनभर मेहनत-मज़दूरी करने के बाद भी इनकी नजरों में गांव की याद रहती तो कभी परिवार की चिंता और मन में राज्य की राजनीति को लेकर मंथन हमेशा चलता रहता है। पोस्ता में बेगूसराय, समस्तीपुर, जमुई, मोकामा, सीतामढ़ी, वैशाली और छपरा जैसे जिलों से आये हजारों मजदूर काम करते हैं। इनमें से अधिकतर दिहाड़ी मजदूर, वैन चालक और ‘मोटिया’, कुम्हार (मिट्टी के बर्तन बनाने वाले) समुदाय से हैं। इनकी सबसे बड़ी चिंता अब भी वही है, पलायन, शिक्षा और स्वास्थ्य की कमजोर व्यवस्था।

हालांकि कई मजदूर मानते हैं कि लालू-राबड़ी के दौर की तुलना में नीतीश कुमार के शासन में विकास हुआ है, मगर साथ ही यह भी कहते हैं- “अब भी बहुत कुछ बदलना बाकी है।”

बिहार में चुनाव इस बार महापर्व से कम नहीं

हमारे लिए इस साल चुनाव किसी महापर्व से कम नहीं है। इसलिए मैं और मेरा साथी इस बार छठ में गांव नहीं गये। बिहार के बेगूसराय जिले के रहनेवाले गुलजारी लाल ने शनिवार को उक्त बातें कहीं। गुलजारी लाल ने बताया कि 35 साल से पोस्ता में वैन चालक का काम करते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह 4 नवंबर को बस से गांव के लिए रवाना होंगे। इस बार उन्होंने मन मना लिया है कि लोकतंत्र के महापर्व में वह और उनके साथी एक नये बदलाव के लिए हिस्सा लेंगे। इस बार विकास शिक्षा और स्वाभिमान के लिए मतदान करेंगे। सीतामढ़ी के रहनेवाले महेन्द्र साव ने बताया कि इस बार शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार की समस्या के समाधान के लिए मतदान करेंगे। वह चाहते हैं कि उनकी तरह उनके बच्चों को रोजगार के लिए पलायन न करना पड़े। बेगूसराय के रहनेवाले प्रभु ने बताया कि अभी उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि किसे मतदान करना है। 5 नवंबर को गांव पहुंचने के बाद वहां के माहौल पता चलने पर ही अपना वोट किसे देना है, इसपर वह फैसला लेंगे। प्रभु के अनुसार नीतीश कुमार ने काफी विकास किया है। जमुई के रहनेवाले मुन्ना सिंह ने बताया कि हर बार रुपये और शराब के बदले उनके गांव के लोग मतदान करते हैं, इस बार वह कलम की ताकत दिखाने के लिए मतदान करेंगे।

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