कोलकाता : विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने गुरुवार को राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस से भाजपा सांसद खगेन मुर्मू पर हमले के मामले में राज्य सरकार के खिलाफ ‘संवैधानिक कार्रवाई’ करने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘बंगाल अब रिपोर्ट नहीं, कार्रवाई चाहता है।’अधिकारी का यह बयान उस समय आया जब राज्यपाल बोस ने हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर बंगाल की कानून-व्यवस्था पर रिपोर्ट सौंपी थी। पत्रकारों से बातचीत में अधिकारी ने कहा, ‘मैं किसी रिपोर्ट में विश्वास नहीं करता। यह वक्त है कि राज्यपाल संविधान के अनुरूप कदम उठाएं।’ उन्होंने याद दिलाया कि अप्रैल में मुर्शिदाबाद में हुई साम्प्रदायिक हिंसा, जिसमें दो लोगों की मौत हुई थी, के बाद राज्यपाल ने चेतावनी दी थी कि यदि ऐसी कोई और अप्रिय घटना होती है, तो ‘कड़ी संवैधानिक कार्रवाई’ की जाएगी। अधिकारी ने कहा, ‘अब जब एक मौजूदा सांसद पर निर्मम हमला हुआ है, उम्मीद है राज्यपाल अपने संवैधानिक दायित्व का पालन करेंगे।’
रोहिंग्या के बढ़ते प्रभाव पर जतायी चिंता
शुभेंदु अधिकारी ने राज्य के सीमाई जिलों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि तृणमूल सरकार गृह मंत्रालय को सीमा पर फेंसिंग के लिए पर्याप्त जमीन नहीं दे रही, जिस कारण सीमाई सुरक्षा खतरे में है। अधिकारी ने कहा, ‘जो भी हिंदू बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आता है, वह शरणार्थी है, और केंद्र सरकार उसे नागरिकता प्रदान करेगी।’ उन्होंने बताया कि मतदाता सूची में असामान्य वृद्धि चिंता का विषय है। राजारहाट-न्यू टाउन विधानसभा क्षेत्र में 28%, डोमकल में 30% और जलंगी में 28% वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह वृद्धि केवल 7% है।
एसआईआर को लेकर किया जा रहा भ्रमित
शुभेंदु अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2002 में 22 लाख मतदाताओं के नाम हटाये गये थे, और अब 13 लाख मृतकों के आधार कार्ड हटाए गए हैं। उन्होंने कहा कि 16 लाख डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम हटाए जाने चाहिए, ताकि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों। उनके अनुसार, पिछले लोकसभा चुनाव में टीएमसी और बीजेपी के बीच 22 लाख वोटों का अंतर था, लेकिन इस बार फर्जी मतदाता सूची से हटाए जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक समुदाय को उकसा रही हैं और एसआईआर को एनआरसी से भ्रमित कर रही हैं, जबकि एसआईआर के कारण किसी भी भारतीय अल्पसंख्यक का नाम मतदाता सूची से नहीं हटेगा।