नयी दिल्लीः सेबी ने कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिये त्वरित शेयर लेनदेन करने की पद्धति ‘एल्गो ट्रेडिंग’ में खुदरा निवेशकों की भागीदारी आसान बनाने के लिए एक प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को लागू किया जाता है तो पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ एल्गो का उपयोग करके सौदे करने की रिटेल इंवेस्टरों की चाहत पूरी हो सकती है। पूंजी बाजार नियामक ने इस प्रस्ताव पर तीन जनवरी तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं।
क्या है एल्गो ट्रेडिंगः ‘एल्गो ट्रेडिंग’ में पहले से तय मानकों के आधार पर उच्च रफ्तार और मात्रा में सौदों को पूरा करने के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम का इस्तेमाल किया जाता है।
क्यों हुई थी शुरुआतः बाजार की दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सेबी ने एल्गो ट्रेडिंग की शुरुआत की थी। इससे सौदों को तेजी से पूरा करने, लेनदेन की लागत में कटौती, अधिक पारदर्शिता, बेहतर ऑडिट और बेहतर तरलता में मदद मिली। हालांकि, इन सुविधाओं तक पहुंच सिर्फ संस्थागत निवेशकों को ही है।
रिटेल इंवेस्टर भी चाहते हैं यह सुविधाः रिटेल इंवेस्टर भी एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान कराने की की मांग करते रहे हैं।सेबी का कहना है कि शेयर बाजारों को एल्गो ट्रेडिंग की निगरानी के लिए जिम्मेदार होना चाहिए और यह जांच करनी चाहिए कि ब्रोकर्स के पास एल्गो और नॉन-एल्गो ऑर्डर के बीच अंतर करने की क्षमता है या नहीं।