नई दिल्ली: भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर हब बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। देश में चिप की किल्लत को दूर करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आज गुरुवार(29 फरवरी) को 76,000 करोड़ रुपये की योजना पर मुहर लगा दी गई है।
कैबिनेट के फैसले पर जानकारी देते हुए IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस योजना के अगले 6 साल में देश में सेमीकंडक्टर चिप्स का एक कंप्लीट इकोसिस्टम विकसित किया जाएगा। इसमें सेमीकंडक्टर डिजाइन, कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग और डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट्स की स्थापना शामिल है। उन्होंने बताया कि भारत को ग्लोबल हब बनाने के लिए 2.3 लाख करोड़ रुपये का इनसेंटिव दिया जाएगा।
76000 करोड़ की मंजूरी
देश में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए 76,000 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इसे मिशन मोड में चलाने के लिए इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन की स्थापना की जाएगी। सरकार देश में मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कई पीएलआई (production linked incentive) स्कीम्स लाई है। सेमीकंडक्टर पॉलिसी से देश में मैन्युफैक्चरिंग बेस मजबूत होगा। सरकार का लक्ष्य डिस्प्ले के लिए 1 से 2 फैब यूनिट स्थापित करने का है। डिजाइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग कंपोनेंट्स के लिए 10-10 यूनिट लगाने का प्लान है।
क्या है सरकार की योजना
फैब यूनिट में चिप बनाने वाली कंपनियों की जरूरत के हिसाब से वैफर (wafer) को डिजाइन किया जाता है और बनाया जाता है। इसके बाद सैमसंग, एनएक्सपी और क्वालकॉम जैसी चिप बनाने वाली कंपनियां इसका पैकेज, टेस्ट और बिक्री करती हैं। करीब एक साल पहले सरकार से देश में सेमीकंडक्टर फैब यूनिट बनाने के लिए कंपनियों से प्रस्ताव मांगे थे। सरकार ने तब 40 फीसदी कैपिटल सब्सिडी की भी पेशकश की थी।
दुनिया में गहराया चिप संकट
दुनिया के उद्योग इस समय गंभीर चिप संकट से जूझ रहे हैं। दुनिया की 169 इंडस्ट्री इस संकट से बेहाल हैं। इसे कोरोना संकट का साइड इफेक्ट कहा जा रहा है। माना जा रहा है कि यह संकट अगले साल और गहरा सकता है। बता दें कि सेमीकंडक्टर का प्रयोग स्मार्टफोन्स, डेटा सेंटर्स, कम्प्यूटर्स, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट डेवाइसेज, वीकल्स, हाउसहोल्ड अप्लायंसेज, लाइफ सेविंग फार्मास्यूटिकल डेवाइसेज, एग्री टेक, एटीएम और कई तरह के उत्पादों में होता है।
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