नई दिल्ली : हिन्दी को गैर हिन्दी प्रदेश में 'थोपने' और अंग्रेजी भाषा का विरोध के आरोपों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में राजभाषा विभाग के कार्यक्रम में कहा कि किसी भी भाषा का विरोध नहीं है। किसी विदेशी भाषा से भी कोई विरोध नहीं करना चाहिए। लेकिन आग्रह हमारी भाषा को बोलने, उसे सम्मान देने और हमारी भाषा में सोचने का होना चाहिए। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है। हिंदी और सभी भारतीय भाषाएं मिलकर हमारे आत्मगौरव के अभियान को उसकी मंजिल तक पहुंचा सकती हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भाषा का इस्तेमाल भारत को बांटने के साधन के रूप में किया गया। वे इसे तोड़ नहीं पाए, लेकिन प्रयास किए गए। हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारी भाषाएं भारत को एकजुट करने का सशक्त माध्यम बनें। इसके लिए राजभाषा विभाग काम करेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जो नींव रखी जा रही है, उससे 2047 में एक महान भारत का निर्माण होगा और महान भारत के निर्माण की राह पर हम अपनी भारतीय भाषाओं का विकास करेंगे। उन्हें समृद्ध बनाएंगे, उनकी उपयोगिता बढ़ाएंगे। उन्होंने यहां सभी सरकारी कर्यालयों में अधिक से अधिक हिन्दी का उपयोग किए जाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ केंद्र सरकार ही नहीं राज्य सरकाराें में भी लागू हो। उन्होंने कहा कि वह इसके लिए राज्य सरकारों से संपर्क साध कर उन्हें समझाने और राजी करने की कोशिश करेंगे।
स्थानीय भाषाओं में मेडिकल-इजीनियरिंग की पढ़ाई: उन्होंने सभी राज्य सरकारों से अपने-अपने राज्यों में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई स्थानीय भाषाओं में शुरू कराने को कहा। उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों की हरसंभव मदद करेगी, जिससे प्रशासनिक कामकाज और उच्च शिक्षा भारतीय भाषाओं में हो सके। इससे पहले 19 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था- इस देश में जो लोग अंग्रेजी बोलते हैं, उन्हें जल्द ही शर्म आएगी। ऐसे समाज का निर्माण दूर नहीं है। अपना देश, अपनी संस्कृति, अपना इतिहास और अपने धर्म को समझने के लिए कोई भी विदेशी भाषा पर्याप्त नहीं हो सकती।